आर्द्र मानसून हवाएं जब पर्वत से टकराती है तो ऊपर उठ जाती हैं, परिणामस्वरूप पर्याप्त बारिश होती है। हम जानते हैं कि ज्यों-ज्यों उंचाई बढ़ती है तापमान कम होने लगता है। 165 मीटर ऊपर जाने पर एक डिग्री सेंटीग्रेट तापमान कम हो जाता है। हवाएं जब ऊपर उठती हैं तो इसमें मौजूद वाष्पकण ठंडे होकर पानी की बूंदों में बदल जाते है।
जब पानी की बूंद भारी होने लगती है तो यह धरती पर गिरती है। इसे हम बारिश कहते हैं। चूंकि मानसूनी हवा में वाष्पकण भरपूर मात्रा में होते हैं इसलिए बारिश भी जमकर होती है।
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